Saturday, November 6, 2010

भीनी-भीनी सी कोई ..

...याद मुस्कुरा रही है...

कुछ ऐसा ह़ी सपना देखा था,
कुछ ऐसे ह़ी ख्वाब बुने थे,
और ज़िन्दगी से, सजदे में बैठ कर,
कुछ ऐसी ह़ी दुआ माँगी थी..

कुछ ऐसा प्यार.. जो प्यार न हो
कुछ ऐसा इकरार.. जो इकरार न हो
कुछ ऐसी मोहब्बत.. जो इनकार न हो
कुछ ऐसा रिश्ता..
जो इबादत से कम न हो..

भीनी-भीनी एक नज़र से,
पलकों के दायरे से ,
आज एक बूँद छलक गयी..
आरज़ू थी बोहत,
आज झलक मिल गयी...

2 comments:

Nij!!!!!!!! said...

Hey....ur hindi..blogz is also nice..!!

Shalini said...

tx nirjar :)